प्यार अगर न होता जग में
सारा जग बंजारा होता..........
ईश्वर तक अपराधी होता
सारा खेल दुबारा होता..........
कायनात ये सारी, लोग सभी
एक दूजे से बेगाने होते.........
जग सारा स्वार्थ में जीता मरता
हर कोई मन से हारा होता...........
श्रृष्टि सारी रीती होती
रात कभी न दुल्हन बनती........
मैं भी शायद सुन न पाती
लाख किसी ने पुकारा होता.........
सारा जग बंजारा होता..........
ईश्वर तक अपराधी होता
सारा खेल दुबारा होता..........
कायनात ये सारी, लोग सभी
एक दूजे से बेगाने होते.........
जग सारा स्वार्थ में जीता मरता
हर कोई मन से हारा होता...........
श्रृष्टि सारी रीती होती
रात कभी न दुल्हन बनती........
मैं भी शायद सुन न पाती
लाख किसी ने पुकारा होता.........
No comments:
Post a Comment