Saturday 28 February 2015

वो लड़की

सुनसान सड़क पर, तनहा सी..
बारिश में चलती वो लड़की
तीन सौ छप्पन बंदिशों में
बेबाक सी पलती वो लड़की...
भीगे उसके चेहरे पर यूँ तो
कुछ खास मुझे अंदाज नहीं...
वो पानी है या आंसू हैं...
है आँखें मलती वो लड़की....
वो सन्नाटों का खौफ है या फिर
दुनिया से उलझने का लावा...
क्या बात है ठंडी बूंदो से
बेजार उबलती वो लड़की
एक अनजाना डर सा है...
न सामने उसके पड़ जाऊं
मैं राह कोई भी चुनती हूँ
हर तौर निकलती वो लड़की..
उसके अंदर भी बेशक
अरमानों को पलते देखा है..
जब कच्ची इमली तोड़ सके..
पंजों पे उछलती वो लड़की...
कोई शौक नही, सरोकार नही
बस इतना उसको जाना है
कुछ तो ऐसा है जिस पर
है सबको खलती वो लड़की..

Thursday 26 February 2015

वहम

न तोड़ गुलाबी जंजीरें..
जीने का सबब उन यादों की..
हम सब्र रखेंगे कायम  बस..
वो सच न हो तो हो वहम सही...
बात न कर, फ़रियाद न सुन
न कोई तमन्ना पूरी कर...
कोई खबर न ले, एहसान न कर..
तू कर दे इतना रहम सही...!!
कल भी तूफ़ान आया था...
मुझ पर आजमाने वजूद तेरा...
कहा हो जैसे खौफ के मद्दे
तू थोड़ा सा तो सहम सही....!!!
बेवफा हुए, बेकदर हुए
और हुए कभी बेपरवाह भी....
अपनी तानाशाही पर दुनिया हमको
बेरहम कहे, बेरहम सही...!!!
कहता रहा ज़माना मुझको...
वहम है उसका प्यार मगर....
मेरी 'ख़ुशी ' से बावस्ता...
वो वहम अगर है, वहम सही...!!

Monday 16 February 2015

आजमाइश



हर बार ख़ुदा ने पूछा है...
क्यों करता कोई फरमाइश नहीं...
मैं सोच सोच कर हैरान हूँ
क्या दिली तेरी कोई ख्वाइश नहीं...
महज़ किसी उम्मीद से मेरी
न उसकी खुदाई कमतर हो..
वरक-ए- हयात सब आब-ए- ज़ार के
क्या काफी ये पैदाइश नहीं...
हर बार के जीने मरने से
एक बार किसी से बैर सही,
क्या साथ निभाने की रस्मे........
जब थोड़ी सी गुंजाईश नहीं.........
ताउम्र बहारों का वादा कर...
गुलशन कितने वीरान हुए....
उनसे भी कोई उन्स नहीं...
कोई सीख नहीं, समझाइश नहीं...
बस एक मेरी गुजारिश है...
तू अपनी खुदाई पे नाज न कर....
मैं कोई तमन्ना न रक्खूँ.....
कर मेरी भी आजमाइश नहीं.....!!!