निपट सरल भी और अविरल भी,
निर्भेद्य भी हैं, निर्बाध भी फिर भी
निराधार नियत नियमों के चलते...
किंचित वे निष्ठुर बनकर रहते हैं.........
निश्चितता पर भी निश्चिंत नहीं..
निर्भीक नहीं..निष्फिक्र नहीं
ये कैसी निर्ममता है जिसके नाते
निष्ठा को भी निरर्थक कहते हैं..
निराकार निपट कुछ भाव निरंकुश...
निर्दोष नही रह जाते उस क्षण
नीर भरे दो नयन निरीह जब....
निश्छलता का फल सहते हैं..
निर्माण भी हैं...निर्याणक भी हैं
और निर्माण के निर्णायक फिर भी
अपनी निष्ठुरता को न जाने क्यूँ,
'हृदयहीनता' कहते हैं.....
निर्भेद्य भी हैं, निर्बाध भी फिर भी
निराधार नियत नियमों के चलते...
किंचित वे निष्ठुर बनकर रहते हैं.........
निश्चितता पर भी निश्चिंत नहीं..
निर्भीक नहीं..निष्फिक्र नहीं
ये कैसी निर्ममता है जिसके नाते
निष्ठा को भी निरर्थक कहते हैं..
निराकार निपट कुछ भाव निरंकुश...
निर्दोष नही रह जाते उस क्षण
नीर भरे दो नयन निरीह जब....
निश्छलता का फल सहते हैं..
निर्माण भी हैं...निर्याणक भी हैं
और निर्माण के निर्णायक फिर भी
अपनी निष्ठुरता को न जाने क्यूँ,
'हृदयहीनता' कहते हैं.....