कशमकश
कशमकश
धूल कि परतें जमीं
है जिसमे वो अफसाना किसका है.......दिल की दुनिया में
टूटा घर, शहर पुराना किसका है.................!!
उसको तो मिली विरासत
में थी अपना बनाने कि तरकीब.......
सारे लोग जो अपने उसके
तो वो आज बेगाना किसका है............!!
शरमा गयी क्यों उसकी
शराफत, उस से जब ये पूछा तो..........मयखानों कि गली में
आजकल ठौर ठिकाना किसका है............!!
आते जाते लोग ये सोचें
उसकी नजरें देखें तो...........उन झील सी गहरी आखों
में वो राज पुराना किसका है............!!
एक तरफ कायनात ये सारी,
एक तरफ बस धवल चांदनी..........चाँद बेचारा बैठा सोचे
साथ निभाना किसका है...............!!
आज निगाहें उसकी जैसे
पूछ रही थी सब से ये...........बहुत दीवाने प्यार
में लेकिन प्यार दीवाना किसका है.........!!
No comments:
Post a Comment